इस सवाल ने केंद्र सरकार को मुश्किल में डाल दिया है, सूचना के अधिकार क़ानून यानी आरटीआई के तहत उर्वशी शर्मा ने पूछा है कि सरकारी तौर पर भारत का नाम क्या है?
उन्होंने बीबीसी को बताया- इस बारे में हमारे बीच काफी असमंजस है, बच्चे पूछते हैं कि जापान का एक नाम है, चीन का एक नाम है लेकिन अपने देश के दो नाम क्यों हैं?
उर्वशी कहती हैं कि उन्होंने यह सवाल इसलिए पूछा है ताकि आने वाली पीढ़ी के बीच इस बारे में कोई संदेह न रहे।
उर्वशी बताती हैं कि उनके इस सवाल ने सरकारी दफ्तरों में हलचल मचा दी है क्योंकि सरकार के पास फिलहाल इसका कोई जवाब नहीं है।
वे कहती हैं- हमें सुबूत चाहिए कि किसने और कब इस देश का नाम भारत या इंडिया रखा? कब यह फैसला लिया गया?
भारतीय संविधान की प्रस्तावना में लिखा है- ‘इंडिया दैट इज़ भारत’ इसका मतलब ये हुआ है कि देश के दो नाम हैं. सरकारी तौर पर ‘गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया’ भी कहते हैं और ‘भारत सरकार’ भी.
अंग्रेजी में भारत और इंडिया दोनों का इस्तेमाल किया जाता है जबकि हिंदी में भी इंडिया कहा जाता है. उर्वशी कहती हैं वो इस मुद्दे को गंभीरता से लेती हैं क्योंकि ये देश की पहचान का सवाल है.
उर्वशी बताती हैं कि प्रधानमंत्री कार्यालय से उन्हें जवाब मिला है जिसमें कहा गया है कि उनके आवेदन को गृह मंत्रालय के पास भेजा गया है।
वे कहती हैं कि गृह मंत्रालय में इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं था इसलिए इसे संस्कृति विभाग और फिर वहाँ से राष्ट्रीय अभिलेखागार भेजा गया है जहाँ जानकारी खोजी जा रही है।
राष्ट्रीय अभिलेखागार 300 वर्षों के सरकारी दस्तावेज़ों का खज़ाना है। यहाँ के एक अधिकारी ने बताया- हम इसका जवाब तैयार कर रहे हैं, जवाब सीधे उर्वशी शर्मा को भेजा जाएगा।
उर्वशी शर्मा का कहना है कि राष्ट्रीय अभिलेखागार के पास याचिका पहुँचे तीन स्प्ताह हो गए, पर अभी तक उत्तर नहीं मिला।
उर्वशी शर्मा को राष्ट्रीय अभिलेखागार के जवाब का इंतजार है, तब तक संविधान में लिखे ‘इंडिया दैट इज भारत’ यानी इंडिया और भारत दोनों नामों को सरकारी नाम की तरह से ही देखना होगा।
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