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Sunday 14 October 2012

जब दिल पर लगेगी तभी बात बनेगी – पर किसके लगेगी ?

आज कल टी वी हो या समाचार पेपर सब पर एक ही चर्चा है जब दिल पर लगेगी तभी बात बनेगी :- सत्यमेव जयते

पर मेरी एक बात समझ में नहीं आई की किस के दिल पर लगेगी, आमिर खान के, अभिषेक मनु सिंघवी के, एन डी तिवारी के, ओमर अब्दुल्लाह के, ये उन लोगो के जिन्होंने अपनी पहली पत्नी को छोड़ कर दूसरी, तीसरी और आगे अनेके शादी की है, क्या कभी सोचा है, देश में क्या दुनिया में हर कोई इज्ज़तदार माँ बाप ये क्यों चहाता है की उस के घर लड़की ना हो, क्यों की इन जैसे लोग अपनी खुशी ( हवस) के लिये नई-नई शादी करते है, शादी नहीं करते तो लडकियो का इस्तमाल करते है, ये वो लोग है जो समाज को दिशा देता है, जिन का युवा वर्ग अनुशरण करता है, तथा मीडिया भी इन लोगो को आगे ला कर दिखता है की आज इस महान व्यक्ति ने दूसरी, तीसरी ….. को पटाया या फसाया, मीडिया भी दो, तीन दिन तक इस खबर को दिखा कर युवा वर्ग को असा करने को उत्साहित करता है,


फिर जब एसा देख कर युवा वर्ग किसी को पटाता या फसाता है, या पटा या फसा नहीं पाता तो वो दुसरे रास्तो से अपनी (समाज की नज़र में बुरी) इच्छाओं की पूर्ति करता है, क्यों की वो जिन लोगो को देख कर या सब कर रहा है, उन लोगो को समाज में आदर्श के रूप में देखा जाता है, फिर जब उस के इस कम को समाज गलत कहता है, तो वो विद्रोही हो जाता है, क्यों की उस ने जो देखा, जो सुना, जो समझ वो उस की नज़र में ठीक है, इस कारण से देश में क्या दुनिया में हर कोई स्त्री ये चहाती है की जैसे उस ने सहा वैसा उस की पुत्री को ना सहना पड़े |

अब ये सोचो की “जब दिल पर लगेगी तभी बात बनेगी” किस के दिल पर लगनी चाहिये, देश की आम जनता के या समाज को दिशा देने वालो के

Via : jagran.com

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