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Sunday, 29 January 2012

कबूतर इश्क का उतरे तो कैसे .. . .. .

तुम्हें जीने में आसानी बहुत है ,


तुम्हारे ख़ून में पानी बहुत है .

ज़हर-सूली ने गाली-गोलियों ने, 


हमारी जात पहचानी बहुत है .


कबूतर इश्क का उतरे तो कैसे, 


तुम्हारी छत पे निगरानी बहुत है. 


इरादा कर लिया गर ख़ुदकुशी का, 


तो खुद की आखँ का पानी बहुत है.



तुम्हारे दिल की मनमानी मेरी जाँ
 ,
हमारे दिल ने भी मानी बहुत है ...."




by :Kumar Vishwas

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