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Monday, 12 March 2012

क्या है आपदा और आपदा प्रबंधन ? Disaster Management ?

आपदा प्रबंधन सीखना समय की मांग 


जापान की आपदा ने एक बार फिर बता दिया है कि प्रकृति की मार सब से भयंकर होती है ऐसे में जरूरी हो जाता है कि हम आपदा आने पर किस प्रकार हम बच सके और दूसरों की भी जान बचा सके. आपदा प्रबंधन  के द्वारा हम यह सब  जान सकते है.
आपदा को अंग्रेज़ी में Disaster कहा जाता है Hazard,Risk दो अन्य अंग्रेज़ी के समानार्थी शब्द है और हिंदी में भी इस को कईं शब्दों जैसे प्रलय,विपदा,प्रकोप,विपत्ति,खतरा शब्दों से जाना जाता है परन्तु आपदा के लिए सर्वथा Disaster ही उपयुक्त शब्द है.
आपदा एक असामान्य घटना है जो थोड़े ही समय के लिए आती है और अपने विनाश के चिन्ह लंबे समय के लिए छोड़ जाती है.
प्राकृतिक आपदा को परिभाषित करते हुए कहा जा सकता है कि एक ऐसी प्राकृतिक घटना जिस में एक हज़ार से लेकर दस लाख लोग तक प्रभावित हों और उनका जीवन खतरे में हो तो वो प्राकृतिक आपदा कहलाती है. 
बेशक प्राक्रतिक आपदाएं मनुष्य व अन्य जीवों को बहुत प्रभावित करती है प्राकृतिक आपदा को कई रूपों में जाना जाता है.


httpen.wikipedia.orgwikiFileHurricane_Katrina_August_28_2005_NASA.jpg httpen.wikipedia.orgwikiTyphoon httphi.wikipedia.orgwiki%E0%A4%9A%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0Gigante.jpg httpen.wikipedia.orgwikiAvalanche
    उपर के चित्र है: १.हरिकेन २.टायफून ३.सुनामी ४.हिमघाव


हरिकेन,सुनामी,सुखा,बाड़,टायफून,बवंडर,चक्रवात सब मौसम से सम्बन्धित प्राकृतिक आपदा हैं.
भूस्खलन और अवधाव या हिमघाव (बर्फ की सरकती हुई चट्टान) ऐसी प्राकृतिक आपदा हैं जिस में स्थलाकृति बदल जाती है.
भूकम्प और ज़्वालामुखी(ज़्वालामुखी के कारण अग्निकांड,दावानल)  टेक्टोनिक प्लेट (प्लेट विवर्तनिकी) के कारण आते हैं.
टिड्डीदल का हमला,कीटो का प्रकोप  को भी प्राकृतिक आपदा माना गया है.
जवालामुखी,भूकम्प,सुनामी,बाड़,दावानल,टायफून,बवंडर,चक्रवात,भूस्खलन ये सब तीव्रगामी आपदाएँ हैं जबकि सूखा,कीटो का प्रकोप,अग्निकांड मंदगामी आपदाएँ है.
मानवीकृत (Man Made) आपदाएँ वो हैं जो मानवीय क्रियाकलाप के कारण होते हैं,जैसे अग्निकांड,बाड़े,भूस्खलन,सूखा.
यहाँ पर यह बता देना अति आवश्यक हो जाता है कि मानवीय दखल से एक नए प्रकार की आपदा से मनुष्य को दो चार होना पड रहा है और वो है,पर्यावरणीय आपदा वैश्विक ऊष्मन Global Warming.
ओद्योगिक क्रियाकलाप जनसंख्या वृद्धि और प्रकृति के साथ खिलवाड़ ने पर्यावरणीय आपदा को जन्म दिया है.
आपदाएँ तो प्राचीन काल से ही आती रही होंगी परन्तु आज के प्रगतिशील मानव ने उनको समझने में जो तेजी ला दी है इससे जन्म हुआ आपदा प्रबंधन का और मनुष्य ने इसके अंतर्गत इन परिस्तिथियों ने जानमाल के कम से कम नुकसान के लिए बहुत से प्रयास किये हैं.  
कुछ अति विनाशकारी  प्राकृतिक आपदाएं ऐसी थी जिन का जिक्र यहाँ करना जरूरी है जिस के बाद इस अवधारणा ने जन्म लिया की आपदा प्रबंधन क्यूँ जरूरी है.
१९९५ की सुनामी,भारत इरान और तुर्की के भयंकर भूकंप,न्यू इंग्लैण्ड व क्युबेक के बर्फीले तूफ़ान,नेब्रास्का में ओलो का कहर,एरिजोना और कलिफोर्निया के दावानल,जापान के भूकम्प आदि त्रासदियाँ आपदा प्रबंधन सिखाने के लिए काफी है.
आपदा प्रबंधन के अंतर्गत ही सबसे बड़ा कदम जो उठाया गया कि ऐसी तकनीके विकसित करने पर जोर दिया गया कि आपदा की किसी तरह भविष्यवाणी की जा सके.
इस उद्देश्य में अंतरिक्ष विज्ञान से बहुत कामयाबी मिली,उपग्रहों की मदद से हरिकेन,टायफून,बवंडर,चक्रवात की सटीक भविष्यवाणी कर के कई बार लाखों लोगो की जानमाल की हानि को बचाया जा सका है. अब तकनीकों की मदद से यह प्रयास जारी हैं कि किसी तरह भूकंप व सुनामी की भी भविष्यवाणी की जा सके,इसके लिए पालतू व अन्य जन्तुओं के व्यवहार परिवर्तन को भी वैज्ञानिक गौर कर रहे हैं.
भूकम्प जैसी आपदा के समय LPG रिसाव आग जैसी दुर्घटना को जन्म देता है,विधुत सप्लाई कट जाती है,जलापूर्ति बंद हो जाती है,जलापूर्ति की घरेलू कनेक्शन पाईप टूट जाने से टैंक का पानी बह जाता है,खाद्य पदार्थ नष्ट हो जाते हैं,लोग मलबे में दब जाते हैं,सड़के मलबे से अट जाती हैं,सहयता देर से पहुँचती है,दोबारा भूकम्प का भय मन में बना रहता है,पीने के साफ़ स्वच्छ पानी का आभाव,कुछ लोग मलबे में से माल तलाश में लूटपाट को बढ़ावा देते है,मृतको की बदबू और महामारी फ़ैल जाती है,सुरक्षित आश्रय नहीं बचता,लोग सहयता सामग्री लूट सकते हैं,जमाखोरी बढ़ जाती है.
ऐसी स्थतियों से निपटने के लिए ही आपदा प्रबंधन सीखना अति आवश्यक है यह तो बकायदा अनिवार्य पाठ्यक्रम होना चाहिए और प्रत्येक नागरिक के लिए इसका प्रशिक्षण अनिवार्य होना चाहिए|   

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