1500 जिंदगियों को बचाने वाला दसई
जबलपुर में दोपहर के 12 बजकर 20 मिनट पर जब राजकोट एक्सप्रेस ट्रेन भेड़ाघाट के करीब स्थित गेट नंबर 308 पर आने वाली थी तब मास्टर क्राफ्टमैन दसई को गेट के करीब पटरी की फिश प्लेट में कुछ गड़बड़ नजर आई। जब दसई ने हथोड़े से फिश प्लेट पर वार किए तो उन्हें पता लगा कि फिश प्लेट के बोल्ट खुले हुए है। यह देखकर दो खलासियों के साथ दसई फिश प्लेट के नटों को कसने में जुट गए। लेकिन जब राजकोट एक्सप्रेस ट्रेन के आगमन का कंपन उन सभी को पटरियों पर महसूस होने लगा तो दोनों खलासी अपनी जान बचाने के लिए पटरी से उठ खड़े हुए। लेकिन दसई ने हिम्मत नहीं हारी और वह पटरी पर तेजी से नट कसने के लिए हाथ चलाने लगे। दसई को उस वक्त अपनी मौत से ज्यादा उन 1500 लोगों की जिंदगी की फिक्र थी जो उस वक्त उस ट्रेन में सवार थे। अंततः हजारों जिंदगियों को बचाने वाले दसई को मौत मिली।
जबलपुर में दोपहर के 12 बजकर 20 मिनट पर जब राजकोट एक्सप्रेस ट्रेन भेड़ाघाट के करीब स्थित गेट नंबर 308 पर आने वाली थी तब मास्टर क्राफ्टमैन दसई को गेट के करीब पटरी की फिश प्लेट में कुछ गड़बड़ नजर आई। जब दसई ने हथोड़े से फिश प्लेट पर वार किए तो उन्हें पता लगा कि फिश प्लेट के बोल्ट खुले हुए है। यह देखकर दो खलासियों के साथ दसई फिश प्लेट के नटों को कसने में जुट गए। लेकिन जब राजकोट एक्सप्रेस ट्रेन के आगमन का कंपन उन सभी को पटरियों पर महसूस होने लगा तो दोनों खलासी अपनी जान बचाने के लिए पटरी से उठ खड़े हुए। लेकिन दसई ने हिम्मत नहीं हारी और वह पटरी पर तेजी से नट कसने के लिए हाथ चलाने लगे। दसई को उस वक्त अपनी मौत से ज्यादा उन 1500 लोगों की जिंदगी की फिक्र थी जो उस वक्त उस ट्रेन में सवार थे। अंततः हजारों जिंदगियों को बचाने वाले दसई को मौत मिली।
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